SEBA Class 9 Hindi Chapter 2 भजन प्रश्न और उत्तर Bhajan – Ambar Bhag 1 Solutions | Assam Eduverse
Chapter Overview:
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SEBA / ASSEB Class 9 Hindi – Chapter 2 भजन Complete Solutions, Summary & Question Answers | Bhajan Solutions
बोध एवं विचार
प्रश्न 1. पूर्ण वाक्य में उत्तर दीजिए :
(क) हिंदी की कृष्णभक्ति काव्यधारा में कवयित्री मीराबाई को कौन-सा स्थान प्राप्त है?
उत्तर: हिंदी की कृष्णभक्ति काव्यधारा में कवयित्री मीराबाई को सबसे महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है।
(ख) बचपन में मीराबाई का लालन-पालन उनके दादाजी के ही संरक्षण में क्यों हुआ था ?
उत्तर: मीराबाई की माता का स्वर्गवास बचपन में ही हो जाने के कारण उनका लालन-पालन उनके दादाजी के ही संरक्षण में हुआ था।
(ग) मीराबाई की काव्य-भाषा मूलतः क्या है?
उत्तर: मीराबाई की काव्य-भाषा मूलतः राजस्थानी है जिस पर ब्रज, गुजराती, पंजाबी, खड़ीबोली और पूर्वी हिंदी का प्रभाव है।
(घ) लोग मीराबाई को क्यों ‘बावरी’ कहा करते थे।
उत्तर: मीराबाई कृष्ण के प्रेम में इतनी लीन हो गई थीं कि वे उनके भजन गाते हुए पगों में घुंघरू बाँधकर नृत्य करने लगी थीं, इसलिए लोग उन्हें ‘बावरी’ (पगली) कहा करते थे।
(ङ) कवयित्री मीराबाई ने अपने मन से कहाँ चलने का आग्रह किया है?
उत्तर: कवयित्री मीराबाई ने अपने मन से यमुना के किनारे चलने का आग्रह किया है।
प्रश्न 2. संक्षिप्त उत्तर दीजिए :
(क) ‘हरि थें हर्या जन रो भीर’ का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: इस पंक्ति का आशय यह है कि मीराबाई कहती हैं कि हे हरि (श्रीकृष्ण), आपने हमेशा अपने भक्तों के कष्टों को दूर किया है। आपने द्रौपदी की लाज रखी, भक्त प्रह्लाद के लिए नृसिंह का रूप धारण किया और डूबते हुए गजराज को बचाया। इसलिए, हे गिरधर लाल! मैं भी आपकी दासी हूँ और मेरी पीड़ा को भी आप ही हरेंगे।
(ख) किसने और क्यों मीराबाई के पास विष का प्याला भेजा था ?
उत्तर: मीराबाई के कुल की मर्यादा का त्याग कर भक्ति मार्ग पर चलने के कारण उनकी सास उन्हें ‘कुलनासी’ कहती थीं। उनके भक्तिभाव से रुष्ट होकर राजा ने मीराबाई के पास विष का प्याला भेजा था।
(ग) कृष्ण किस रूप में यमुना के किनारे क्रीड़ा किया करते थे ?
उत्तर: कृष्ण मोर मुकुट, पीले वस्त्र (पीताम्बर) और कानों में कुंडल पहनकर यमुना के किनारे अपने भाई बलराम के साथ क्रीड़ा किया करते थे।
(घ) कवयित्री मीराबाई ने मनुष्यों को क्या-क्या करने के उपदेश दिये हैं?
उत्तर: कवयित्री मीराबाई ने मनुष्यों को राम नाम का रस पीने, बुरी संगत को त्यागकर सत्संग में बैठने, हरि की चर्चा सुनने और मन से काम, क्रोध, मद, लोभ और मोह को दूर करने का उपदेश दिया है।
प्रश्न 3. सम्यक् उत्तर दीजिए :
(क) श्रीकृष्ण ने कब और किस प्रकार द्रौपदी की लाज की रक्षा की थी ?
उत्तर: हस्तिनापुर की राजसभा में जब दुःशासन द्रौपदी का वस्त्रहरण करने लगा, तब द्रौपदी ने श्रीकृष्ण का स्मरण किया। श्रीकृष्ण ने वहाँ प्रकट होकर चमत्कारपूर्वक द्रौपदी का चीर (वस्त्र) इतना बढ़ा दिया कि दुःशासन उसे खींचते-खींचते थक गया। इस प्रकार श्रीकृष्ण ने द्रौपदी की लाज की रक्षा की।
(ख) भक्त की रक्षा के लिए कब विष्णु भगवान ने नृसिंह का रूप धारण किया था ?
उत्तर: भक्त प्रह्लाद को उसके पिता हिरण्यकशिपु ने बहुत यातनाएँ दी थीं। जब हिरण्यकशिपु ने अपने बेटे प्रह्लाद को मारने का प्रयास किया, तो भक्त की रक्षा के लिए विष्णु भगवान ने आधे मनुष्य और आधे सिंह का रूप (नृसिंह) धारण कर हिरण्यकशिपु का वध किया था।
(ग) विष्णु भगवान ने गजराज को कब और कैसे डूबने से बचाया था ?
उत्तर: पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार मगरमच्छ ने एक हाथी (गजराज) का पैर पकड़ लिया था। हाथी ने बहुत संघर्ष किया लेकिन वह मगरमच्छ से खुद को छुड़ा नहीं सका और डूबने लगा। तब उसने विष्णु भगवान को पुकारा। विष्णु भगवान ने प्रकट होकर अपने सुदर्शन चक्र से मगरमच्छ का वध कर गजराज को डूबने से बचाया था।
(घ) कवयित्री मीराबाई का संक्षिप्त साहित्यिक परिचय दीजिए।
उत्तर: मीराबाई हिंदी की कृष्णभक्ति काव्यधारा की महत्त्वपूर्ण कवयित्री थीं। उनकी काव्य-भाषा मूलतः राजस्थानी थी, जिस पर ब्रज, गुजराती, पंजाबी, खड़ीबोली और पूर्वी हिंदी का प्रभाव था। उनके भजनों में माधुर्य भाव, विरह और प्रेम की अभिव्यक्ति मिलती है। उन्होंने कृष्ण को अपना पति मानकर काव्य रचना की। उनके पदों में उनके हृदय की गहरी पीड़ा और कृष्ण के प्रति अटूट प्रेम का भाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।
(ङ) पठित पदों के आधार पर मीराबाई के कृष्ण प्रेम का स्वरूप स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: पठित पदों के आधार पर मीराबाई का कृष्ण प्रेम अनन्य और अटूट है। वे कृष्ण को अपना सर्वस्व मानती हैं और उनकी भक्ति में स्वयं को पूर्ण रूप से समर्पित कर देती हैं। वे लोक-लाज और पारिवारिक विरोध की परवाह किए बिना कृष्ण के लिए घुंघरू बाँधकर नृत्य करती हैं। उन्होंने विष का प्याला भी हँसते-हँसते पी लिया, क्योंकि उन्हें विश्वास था कि उनके प्रभु उनकी रक्षा करेंगे। उनका मन सदैव राम नाम का रस पीने में लगा रहता है। उनके प्रेम का स्वरूप इतना गहरा है कि वे अपने मन को कृष्ण के रंग में रंगने के लिए कहती हैं।
प्रश्न 4. सप्रसंग व्याख्या कीजिए:
(क) पग बाँध नाच्याँ री।
उत्तर:
संदर्भ: यह पद कवयित्री मीराबाई द्वारा रचित है। इसमें वे कृष्ण भक्ति में अपनी दीवानगी और समाज की आलोचना का वर्णन कर रही हैं।
प्रसंग: मीराबाई अपने पैरों में घुंघरू बाँधकर कृष्ण के सामने नृत्य कर रही थीं। उनके इस व्यवहार से लोग और परिवार के सदस्य नाराज हो गए।
व्याख्या: मीराबाई कहती हैं कि जब उन्होंने कृष्ण के प्रेम में पगों में घुंघरू बाँधकर नाचना शुरू किया, तो लोग उन्हें ‘बावरी’ (पगली) कहने लगे और उनकी सास उन्हें कुल का नाश करने वाली कहने लगी। लेकिन मीरा को इन बातों से कोई फर्क नहीं पड़ा क्योंकि वह कृष्ण के प्रेम में पूरी तरह से लीन हो चुकी थीं।
(ख) राम नाम रस पीजै।
उत्तर:
संदर्भ: यह पद कवयित्री मीराबाई द्वारा रचित है। इसमें वे मनुष्य को सांसारिक मोह-माया छोड़कर भक्ति में लीन होने का उपदेश दे रही हैं।
प्रसंग: मीरा मनुष्य को राम नाम के रस का पान करने के लिए प्रेरित करती हैं।
व्याख्या: मीराबाई मनुष्य को उपदेश देती हैं कि उसे राम नाम के रस का पान करना चाहिए। वे कहती हैं कि बुरी संगत को त्यागकर सत्संग में बैठना चाहिए और हमेशा हरि की चर्चा सुननी चाहिए। साथ ही, मन से काम, क्रोध, मद, लोभ और मोह को दूर कर देना चाहिए। वे कहती हैं कि जो ऐसा करेगा, वही कृष्ण के प्रेम रंग में डूब पाएगा।
(ग) चालाँ मण वा जमणा काँ तीर।
उत्तर:
संदर्भ: यह पद मीराबाई द्वारा रचित है। इसमें वह कृष्ण और बलराम की क्रीड़ाओं का वर्णन करती हैं।
प्रसंग: कवयित्री अपने मन से कहती है कि चलो यमुना नदी के किनारे चलते हैं।
व्याख्या: मीराबाई कहती हैं कि हे मन! चलो, हम यमुना नदी के किनारे चलते हैं। उस यमुना का पानी बहुत ही निर्मल और शीतल है, जो शरीर को शांति देता है। वहाँ कृष्ण अपने भाई बलराम के साथ बंसी बजाते हैं और क्रीड़ा करते हैं। उनके सिर पर मोर मुकुट, शरीर पर पीले वस्त्र और कानों में हीरे के कुंडल शोभायमान हैं। वे कहती हैं कि वह भी वहाँ जाकर कृष्ण और बलराम की क्रीड़ाओं का आनंद लेना चाहती हैं।
प्रश्न 5. भाषा एवं व्याकरण
1. तत्सम रूप लिखिए :
भगत – भक्त
विख – विष
दरसण – दर्शन
जमणा – यमुना
सीतल – शीतल
अमरित – अमृत
2. विलोमार्थक शब्द लिखिए :
विष – अमृत
आशा – निराशा
कुसंग – सत्संग
निर्मल – मलिन
शीतल – उष्ण
3. निम्नलिखित शब्द समूहों के लिए एक-एक शब्द लिखिए :
(अ) भगवान की भक्ति करने वाली स्त्री।
उत्तर: भक्तनी
(आ) किसी की रक्षा करने वाला व्यक्ति।
उत्तर: रक्षक
(इ) जो नृत्य करती हो।
उत्तर: नृत्यांगना
(ई) गिरि को धारण करनेवाला।
उत्तर: गिरधर
(उ) जिस कपड़े का रंग पीला हो।
उत्तर: पीताम्बर
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