SEBA Class 10 Hindi Chapter 3 किरणों का खेल प्रश्न और उत्तर Kiranon Ka Khel – Ambar Bhag 2 Solutions | Assam Eduverse
Chapter Overview:
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SEBA / ASSEB Class 10 Hindi – Chapter 3 किरणों का खेल Complete Solutions, Summary & Question Answers | Kiranon Ka Khel Solutions
बोध एवं विचार
प्रश्न 1: सही विकल्प का चयन कीजिए –
(क) “हरित तृण” का तात्पर्य क्या है?
(i) हरी-भरी धरती (ii) हरी-हरी घास (iii) हरे-भरे खेत (iv) चांदनी रात
उत्तर: (ii) हरी-हरी घास
(ख) कविता में “मोती” किन्हें कहा गया है?
(i) प्रकृति (ii) धरती (iii) ओस की बूंदें (iv) चंद्रमा की रश्मियां
उत्तर: (iii) ओस की बूंदें
(ग) कविता में “विराम-दायिनी” किसे कहा गया है?
(i) कवि (ii) संध्या (iii) सूरज (iv) धरती
उत्तर: (ii) संध्या
प्रश्न 2: निम्नलिखित प्रश्नों का पूर्ण वाक्य में उत्तर दीजिए –
(क) “किरणों का खेल” किस प्रकार की कविता है?
उत्तर: “किरणों का खेल” प्रकृति विषयक कविता है।
(ख) धरती किसके माध्यम से अपनी खुशी जाहिर कर रही है?
उत्तर: धरती हरी-हरी घास के माध्यम से अपनी खुशी जाहिर कर रही है।
(ग) वृक्ष क्यों झूम रहे हैं?
उत्तर: वृक्ष मंद पवन के झोंकों से झूम रहे हैं।
(घ) सूरज मोती का उपहार कब बांटता है?
उत्तर: सूरज सवेरा होने पर मोती का उपहार बांटता है।
(ङ) जल और थल में चांदनी बिछी होने का क्या अर्थ है?
उत्तर: जल और थल में चांदनी बिछी होने का अर्थ है कि चंद्रमा की रोशनी धरती और पानी दोनों पर फैली हुई है।
(च) संध्या को “विराम-दायिनी” क्यों कहा गया है?
उत्तर: संध्या को “विराम-दायिनी” इसलिए कहा गया है क्योंकि यह दिन भर के कार्यों से विश्राम दिलाती है।
प्रश्न 3: निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए –
(क) कवि ने किरणों के सौंदर्य का वर्णन किस प्रकार किया है?
उत्तर: कवि ने किरणों को चंचल बताया है जो जल-थल में खेल रही हैं और स्वच्छ चांदनी बिछा रही हैं।
(ख) धरती अपना “पुलक” कैसे प्रकट करती है?
उत्तर: धरती हरित तृणों की नोकों से अपना पुलक प्रकट करती है।
(ग) रवि धरती पर फैली मोतियों को कैसे बांटता है?
उत्तर: रवि सवेरा होने पर धरती पर फैली ओस की बूंदों को सूर्य की किरणों से बांटता है।
(घ) नियति को “नटी” क्यों कहा गया है? उसके कार्यकलापों का वर्णन कीजिए।
उत्तर: नियति को “नटी” इसलिए कहा गया है क्योंकि वह प्रकृति रूपी नर्तकी की तरह अपने कार्यकलाप करती रहती है। उसके कार्यकलाप निरंतर चलते रहते हैं पर बहुत शांत और चुपचाप।
(ङ) “निरानंद है कौन दिशा?” – कविता की इस प्रश्नवाचक पंक्ति से कवि का क्या आशय है?
उत्तर: कवि का आशय है कि प्रकृति की सुंदरता से हर दिशा आनंदमय है, कोई भी दिशा आनंद से रहित नहीं है।
प्रश्न 4: निम्नलिखित प्रश्नों के संपूर्ण उत्तर लिखिए –
(क) “किरणों का खेल” कविता में वर्णित प्राकृतिक सौंदर्य का चित्रण कीजिए।
उत्तर: कविता में चांद की चंचल किरणें जल-थल में खेल रही हैं। स्वच्छ चांदनी अवनि और अंबर तल में बिछी है। धरती हरी घास से पुलकित है। वृक्ष मंद पवन से झूम रहे हैं। सूर्य मोतियों का उपहार बांटता है। संध्या विराम देकर नया रूप प्रदान करती है।
(ख) प्रकृति को नया रूप प्रदान करने में चांद और सूरज की क्या-क्या भूमिकाएं हैं?
उत्तर: चांद अपनी चांदनी से रात्रि की सुंदरता बढ़ाता है और शांति प्रदान करता है। सूरज दिन में ओस की बूंदों को चमकाता है और प्रकृति को नवीन उर्जा देता है।
(ग) “परिवर्तन प्रकृति का नियम है।” प्रस्तुत कविता के आधार पर इस तत्व की पुष्टि कीजिए।
उत्तर: कविता में दिखाया गया है कि प्रकृति निरंतर अपने रूप बदलती रहती है। दिन-रात का बदलना, संध्या का आना, सूर्योदय-सूर्यास्त – ये सब परिवर्तन प्रकृति के नियम हैं।
(घ) पठित कविता के आधार पर बताइए कि प्रकृति से हमें कौन-सी सीख मिलती है?
उत्तर: प्रकृति से हमें निरंतर कार्य करते रहने, शांत भाव से अपने दायित्वों का निर्वाह करने और सबको खुशी देने की सीख मिलती है।
प्रश्न 5: सप्रसंग व्याख्या कीजिए –
(क) बंद नहीं अब भी चलते हैं… कितने शांत और चुपचाप।
उत्तर:
प्रसंग: यह पंक्ति मैथिलीशरण गुप्त की कविता “किरणों का खेल” से ली गई है।
व्याख्या: कवि कहते हैं कि प्रकृति रूपी नर्तकी के कार्यकलाप अभी भी बंद नहीं हुए हैं। वे निरंतर चलते रहते हैं परंतु बहुत एकांत भाव से, शांत और चुपचाप। यह प्रकृति की निरंतरता को दर्शाता है।
(ख) है बिखेर देती वसुंधरा… सदा सवेरा होने पर।
उत्तर:
प्रसंग: इन पंक्तियों में धरती और सूर्य के संबंध का वर्णन है।
व्याख्या: धरती (वसुंधरा) सबके सोने पर ओस की बूंदों रूपी मोतियां बिखेर देती है और सूर्य सवेरा होने पर उन्हें अपनी किरणों से बांट देता है। यह प्रकृति की उदारता का प्रतीक है।
भाषा एवं व्याकरण
प्रश्न 1: अनुप्रास अलंकार के तीन उदाहरण चुनकर लिखिए।
उत्तर:
- रघुबीरबधु धरि धीर (ध की आवृत्ति)
- चारु चंद्र की चंचल किरणें (च की आवृत्ति)
- पुलक प्रगट (प की आवृत्ति)
प्रश्न 2: निम्नलिखित नियमों पर ध्यान दीजिए और संधि के रूप में जोड़कर लिखिए –
उत्तर:
- सम् + यम = संयम
- सम् + शोधन = संशोधन
- सम् + रचना = संरचना
- सम् + स्मरण = संस्मरण
- सम् + विधान = संविधान
- सम् + हार = संहार
प्रश्न 3: निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए –
उत्तर:
- अवनि – धरती, पृथ्वी
- अंबर – आकाश, गगन
- तरु – वृक्ष, पेड़
- पवन – हवा, वायु
- चंद्र – चांद, शशि
- रवि – सूर्य, सूरज
- चारु – सुंदर, मनोहर
- निशा – रात्रि, रजनी
- तन – शरीर, काया
- किरण – रश्मि, कर
प्रश्न 4: अविकारी शब्दों के भेद और निपात के पांच उदाहरण दें।
उत्तर:
अविकारी शब्द चार प्रकार के होते हैं –
- क्रिया-विशेषण
- संबंधबोधक
- समुच्चयबोधक
- विस्मयादिबोधक
निपात के उदाहरण: भी, ही, तो, भर, केवल
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