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SEBA Class 10 Hindi Chapter 12 तीर्थ-यात्रा प्रश्न और उत्तर Teerth Yatra – Ambar Bhag 2 Solutions | Assam Eduverse

Chapter Overview:

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SEBA / ASSEB Class 10 Hindi – Chapter 12 तीर्थ-यात्रा Complete Solutions, Summary & Question Answers | Teerth Yatra Solutions

बोध एवं विचार

प्रश्न 1: सही विकल्प का चयन कीजिए –

(क): लाजवंती के आखिरी पुत्र का नाम क्या था?

(i) हेमराज (ii) रामलाल (iii) दुर्गादास (iv) परमेश्वर

उत्तर: (i) हेमराज

(ख): लाजवंती का पति कहाँ नौकरी करता था?

(i) दिल्ली (ii) मथुरा (iii) मुल्तान (iv) बरेली

उत्तर: (iii) मुल्तान

(ग): गाँव के प्रसिद्ध वैद्य दुर्गादास को लोग क्या मानते थे?

(i) चरक (ii) लुकमान (iii) सुश्रुत (iv) वैद्यराज

उत्तर: (ii) लुकमान

(घ): हरो को लाजवंती ने कितने रुपए दिए?

(i) एक सौ (ii) दो सौ (iii) तीन सौ (iv) चार सौ

उत्तर: (ii) दो सौ

(ङ): हरो कौन थी?

(i) लाजवंती की माँ (ii) लाजवंती की सास (iii) लाजवंती की पड़ोसिन (iv) लाजवंती की नौकरानी

उत्तर: (iii) लाजवंती की पड़ोसिन


प्रश्न 2. पूर्ण वाक्य में उत्तर दीजिए:

(क): हेमराज कौन है?

उत्तर: हेमराज लाजवंती का आखिरी पुत्र है जो उसके जीवन का सहारा था।

(ख): हेमराज को किस बुखार ने जकड़ रखा था?

उत्तर: हेमराज को मियादी बुखार (टाइफाइड) ने जकड़ रखा था।

(ग): हेमराज के इलाज करने वाले वैद्य का नाम क्या है?

उत्तर: हेमराज के इलाज करने वाले वैद्य का नाम दुर्गादास था।

(घ): लाजवंती जब वैद्य जी के पास पहुँची उस समय वे क्या कर रहे थे?

उत्तर: जब लाजवंती वैद्य जी के पास पहुँची तो वे बैठे हुए एक पुराना साप्ताहिक समाचार-पत्र पढ़ रहे थे।

(ङ): लाजवंती ने फीस के रूप में वैद्य जी को कितने पैसे दिए?

उत्तर: लाजवंती ने फीस के रूप में वैद्य जी को दुपट्टे के आँचल से अठन्नी निकालकर दी।

(च): हेमराज का बुखार कितने दिनों पर उतरा?

उत्तर: हेमराज का बुखार इक्कीसवें दिन उतरा।

(छ): लाजवंती के पति का क्या नाम है?

उत्तर: लाजवंती के पति का नाम रामलाल है।


प्रश्न 3. संक्षिप्त उत्तर दीजिए:

(क): लाजवंती अपने पुत्र हमराज को हमेशा छाती से लगाए क्यों फिरती थी?

उत्तर: लाजवंती के पहले कई पुत्र पैदा हुए थे लेकिन सभी बचपन में ही मर गए थे। हेमराज आखिरी पुत्र था और उसके जीवन का सहारा था। माँ की ममता के कारण वह उसे हमेशा छाती से लगाए रखती थी ताकि उसे कोई हानि न पहुँचे।

(ख): लाजवंती के मन में हमेशा किस बात का डर लगा रहता था?

उत्तर: लाजवंती के मन में हमेशा यह डर लगा रहता था कि कहीं हेमराज को भी कुछ हो न जाए और वह भी अपने भाइयों की तरह चला न जाए। वह डरती थी कि कहीं किसी की नजर न लग जाए।

(ग): वैद्य दुर्गादास को लोग लुकमान क्यों समझते थे?

उत्तर: वैद्य दुर्गादास को अच्छा अनुभवी वैद्य माना जाता था। सैकड़ों रोगी उनके हाथों से स्वस्थ होते थे। आसपास के गाँवों में भी उनका बड़ा नाम था। इसलिए लोग उन्हें लुकमान समझते थे।

(घ): कई दिन बीतने पर भी हेमराज का बुखार क्यों नहीं उतरा?

उत्तर: हेमराज को मियादी बुखार था जो अपनी मियाद पूरी करके ही उतरता है। वैद्य जी ने कहा था कि इक्कीसवें दिन बुखार उतरेगा। यह बुखार समय से पहले नहीं उतर सकता था।

(ङ): वैद्य जी की कौन-सी बात सुनकर लाजवंती का दिल बैठ गया?

उत्तर: जब वैद्य जी ने कहा कि बुखार सख्त है, हानिकारक भी हो सकता है और हमराज के पिता को बुलवा लेना चाहिए, तब लाजवंती का दिल बैठ गया। यह बात सुनकर उसे लगा कि स्थिति गंभीर है।

(च): वैद्य जी ने लाजवंती को अपने पति को बुलवा लेने की सलाह क्यों दी?

उत्तर: वैद्य जी ने देखा कि हेमराज का बुखार सख्त था और स्थिति गंभीर हो सकती थी। ऐसी परिस्थिति में पिता का घर पर होना आवश्यक था। इसलिए उन्होंने लाजवंती को पति को बुलवा लेने की सलाह दी।

(छ): लाजवंती ने देवी माता से क्या मन्नत माँगी?

उत्तर: लाजवंती ने देवी माता के सामने कांपते हुए स्वर से मन्नत मानी कि “देवी माता! मेरा हेमराज बच जाए तो मैं तीर्थ-यात्रा करूँगी।”

(ज): हेमराज का बुखार कब और किस प्रकार उतरा?

उत्तर: हेमराज का बुखार इक्कीसवें दिन उतरा। जैसे ही लाजवंती ने देवी माता से मन्नत मानी, उसी रात से बुखार धीरे-धीरे उतरना शुरू हो गया। प्रभात होने तक बुखार बिल्कुल उतर गया था।

(झ): हरो के रोने का क्या कारण था?

उत्तर: हरो इसलिए रो रही थी क्योंकि उसकी कुंवारी बेटी की शादी की चिंता उसे सता रही थी। जेठ ने दो सौ रुपए के गहने-कपड़े बनवा दिए थे परंतु मिठाई आदि का प्रबंध नहीं किया था। वह चिंता में थी कि बारात के सामने क्या परोसेगी।

(ञ): तीर्थ-यात्रा पर जाने से पहले की रात लाजवंती के घर में क्या कार्यक्रम हो रहा था?

उत्तर: तीर्थ-यात्रा पर जाने से पहले की रात लाजवंती के आँगन में सारा गाँव इकट्ठा था। झाँझें और करताल बज रही थीं, ढोलक की थाप गूंज रही थी। स्त्रियाँ गाती, बजाती और शोर मचाती थीं। पूरियाँ और हलुवा बन रहा था। यह उत्सव का माहौल था।

(ट): रामलाल के अनुसार उसकी असली दौलत क्या थी?

उत्तर: रामलाल के अनुसार उसकी असली दौलत उसका बेटा हेमराज था। उसने कहा था – “परमेश्वर ने एक लाल दिया है, वह जीता रहे। यही हमारी दौलत है।”

(ठ): हरो की अवस्था देख-सुनकर लाजवंती क्यों काँप उठी थी?

उत्तर: हरो की दुर्दशा देखकर लाजवंती को लगा कि यदि हरो की बेटी की शादी नहीं हुई तो यह गाँव भर की नाक कट जाएगी और ईश्वर का कोप गाँव भर को जलाकर राख कर देगा। इस डर से वह काँप उठी थी।


प्रश्न 4. सम्यक् उत्तर दीजिए:

(क): एक पड़ोसी का दूसरे पड़ोसी के प्रति क्या कर्तव्य होना चाहिए? “तीर्थ-यात्रा” कहानी के आधार पर उत्तर दीजिए।

उत्तर: “तीर्थ-यात्रा” कहानी के आधार पर पड़ोसी का कर्तव्य है कि वह दूसरे के दुख-दर्द में शामिल होकर उसकी मदद करे। जैसे लाजवंती ने हरो की मुसीबत में साथ दिया। पड़ोसी को अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर दूसरों की भलाई के लिए काम करना चाहिए। लाजवंती ने अपनी तीर्थ-यात्रा का त्याग करके हरो की बेटी की शादी में मदद की। मुश्किल समय में पड़ोसी को नैतिक और भावनात्मक सहारा भी देना चाहिए। लाजवंती ने बिना दिखावा किए चुपचाप पैसे देकर उसकी समस्या हल कर दी। यह कहानी सिखाती है कि पड़ोसी धर्म में परोपकार और त्याग सबसे ज़रूरी है।


(ख): लाजवंती ने तीर्थ-यात्रा की तैयारी कैसे की?

उत्तर: लाजवंती ने टीन के बक्से में कपड़े रखकर एक बिस्तर तैयार किया। उसने गले में लाल सूती माला पहनी और माथे पर चंदन लगाया। अपनी गाय को पड़ोसिन के हवाले करके बार-बार उसे पूरा ध्यान रखने की बात कही। घर में गाने-बजाने का कार्यक्रम हुआ और गाँव के लोग उत्सव मनाने लगे। लाजवंती के चेहरे पर आभा, आँखों में चमक और मन में खुशी थी, जो उसकी तीर्थ-यात्रा की तैयारी को दर्शाती थी।


(ग): तीर्थ-यात्रा के लिए संचित रुपए हरो को देकर भी लाजवंती प्रसन्न थीं, क्यों?

उत्तर: लाजवंती प्रसन्न थीं क्योंकि परोपकार से मिला आनंद किसी भी तीर्थ-यात्रा से अधिक था। त्याग में जो सुख है, वह भोग में नहीं मिलता। पड़ोसी की मदद करना भी धर्म है और हरो की समस्या हल करने से उसे मानसिक शांति मिली। उसे लगा कि सच्चा तीर्थ दूसरों के दुख दूर करने में है।


(घ): लाजवंती की चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।

उत्तर: लाजवंती एक स्नेहमयी और ममतामयी माँ थीं, जो अपने बेटे हेमराज से बहुत प्यार करती थीं। वह धार्मिक प्रवृत्ति की स्त्री थीं और संकट के समय देवी माता से प्रार्थना करती थीं। उनका व्यक्तित्व त्यागपूर्ण था, क्योंकि उन्होंने अपनी तीर्थ-यात्रा छोड़कर हरो की मदद की। वह परोपकारी हृदय की थीं और दूसरों के दुख-दर्द को समझकर उनकी सहायता करती थीं। उनकी संवेदनशीलता भी दिखती है, क्योंकि हरो की सिसकी सुनते ही तुरंत मदद के लिए आगे बढ़ीं।


(ङ): “तीर्थ-यात्रा” कहानी से आपको क्या शिक्षा मिलती है?

उत्तर: इस कहानी से शिक्षा मिलती है कि सच्चा तीर्थ परोपकार और सेवा में है। अपने स्वार्थ का त्याग करके दूसरों की भलाई करना सबसे बड़ा धर्म है। पड़ोसी की मदद करना भी पड़ोसी धर्म है। त्याग और परोपकार से जो आनंद मिलता है, वह भोग से कहीं अधिक होता है। धर्म केवल पूजा-पाठ और तीर्थ करने में नहीं, बल्कि मानवता की सेवा में है। यह कहानी बताती है कि समाज में सबको मिलकर एक-दूसरे की सहायता करनी चाहिए और सच्चा धर्म मानवता की सेवा ही है।

प्रश्न 5. आशय स्पष्ट कीजिए:

(क): “जब थककर उसने सिर उठाया तो उसका मुखमंडल शांत था, जैसे तूफान शांत हो जाता है।”

उत्तर: यह वाक्य उस समय का है जब लाजवंती देवी माता के सामने प्रार्थना कर रही थी। प्रार्थना करने के बाद उसके मन को शांति मिली और उसकी सारी घबराहट दूर हो गई। धार्मिक आस्था ने उसके मन को दृढ़ कर दिया और उसे विश्वास हो गया कि देवी माता उसकी सुनेंगी और हेमराज ठीक हो जाएगा। उसे ऐसा लगा मानो कोई दिव्य शक्ति उसके आँसुओं से पिघल गई हो। यह वाक्य दिखाता है कि सच्ची आस्था और प्रार्थना से मन को शांति और आत्मविश्वास मिलता है।


(ख): “जो सुख त्याग में है, वह ग्रहण में कहाँ?”

उत्तर: यह कहानी का मूल संदेश है। इसका आशय यह है कि त्याग करने में जो आनंद है, वह किसी वस्तु को पाने में नहीं मिलता। लाजवंती ने अपनी तीर्थ-यात्रा के पैसे हरो को देकर जो संतोष पाया, वह किसी बड़ी तीर्थ-यात्रा से भी अधिक था। निःस्वार्थ भाव से दूसरों की मदद करने में जो खुशी मिलती है, वह स्वार्थपूर्ण कार्यों से नहीं मिल सकती। यह एक आध्यात्मिक सत्य है कि देना हमेशा लेने से श्रेष्ठ होता है। इस वाक्य से हमें शिक्षा मिलती है कि जीवन की सच्ची संपत्ति परोपकार और त्याग में है, न कि संग्रह और स्वार्थ में।


प्रश्न 6. किसने, किससे और किस प्रसंग में ऐसा कहा:

(क): “रुपए का क्या है, हाथ का मैल है, आता है, चला जाता है।”

उत्तर:

  • किसने: रामलाल ने
  • किससे: लाजवंती से
  • प्रसंग: जब लाजवंती ने तीर्थ-यात्रा की मन्नत मानने की बात बताई और रामलाल ने तीर्थ-यात्रा के खर्च का अनुमान लगाकर चिंता की, तब पुत्र-स्नेह में डूबकर उसने कहा कि पैसे की कोई बात नहीं है, वह तो आता-जाता रहता है। असली दौलत तो बेटा है जो जीता रहे।

(ख): “आज की रात बड़ी भयानक है। सावधान रहना।”

उत्तर:

  • किसने: वैद्य दुर्गादास ने
  • किससे: लाजवंती और रामलाल से
  • प्रसंग: जब इक्कीसवाँ दिन आया और हमराज का बुखार अभी तक नहीं उतरा था। वैद्य जी ने हमराज की नाड़ी देखी तो घबराकर कहा कि आज की रात बहुत खतरनाक है और बुखार एकाएक उतरेगा। इसलिए सावधान रहना चाहिए।

(ग): “मैं तुम्हें दूसरी सावित्री समझता हूँ।”

उत्तर:

  • किसने: वैद्य दुर्गादास ने
  • किससे: लाजवंती से
  • प्रसंग: जब हमराज का बुखार उतर गया और वह ठीक हो गया, तब वैद्य जी ने लाजवंती की प्रशंसा करते हुए कहा। उन्होंने कहा कि जिस तरह सावित्री ने अपने मरे हुए पति को जिलाया था, उसी तरह लाजवंती ने अपने बेटे को मृत्यु के मुँह से निकाला है। यदि वह दिन-रात एक न करती तो हमराज का बचना असंभव था।
भाषा एवं व्याकरण

1. निम्नलिखित शब्दों से उपसर्ग और प्रत्यय अलग-अलग करके लिखिए:

प्रश्न: प्रसन्नता, साप्ताहिक, बचपन, मुस्कुराहट, कृतज्ञता, कल्पित, पुलकित, वास्तविक, पड़ोसिन, निराशा, असंभव, परिश्रम

उत्तर:

  • प्रसन्नता: प्र (उपसर्ग) + सन्न + ता (प्रत्यय)
  • साप्ताहिक: सप्ताह + इक (प्रत्यय)
  • बचपन: बच + पन (प्रत्यय)
  • मुस्कुराहट: मुस्कुरा + हट (प्रत्यय)
  • कृतज्ञता: कृतज्ञ + ता (प्रत्यय)
  • कल्पित: कल्प + इत (प्रत्यय)
  • पुलकित: पुलक + इत (प्रत्यय)
  • वास्तविक: वास्तव + इक (प्रत्यय)
  • पड़ोसिन: पड़ोसी + इन (प्रत्यय)
  • निराशा: निर् (उपसर्ग) + आशा
  • असंभव: अ (उपसर्ग) + संभव
  • परिश्रम: परि (उपसर्ग) + श्रम

2. निपात शब्दों का प्रयोग:

प्रश्न: “ही”, “तो”, “भर”, “तक”, “मात्र”, “केवल” और “भी” निपात शब्दों का प्रयोग करते हुए स्वयं पांच-पांच वाक्य बनाइए।

उत्तर:

“ही” के वाक्य:

  1. वह तो आज ही आएगा।
  2. मैं केवल तुमसे ही बात करूंगा।
  3. यह काम तुम ही कर सकते हो।
  4. बच्चे खेल में ही व्यस्त थे।
  5. सच कहने वाला वही है।

“तो” के वाक्य:

  1. पढ़ोगे तो पास होओगे।
  2. बारिश हो तो फसल अच्छी होगी।
  3. मेहनत करोगे तो सफल होओगे।
  4. समय पर पहुंचे तो अच्छा होगा।
  5. दवाई लोगे तो जल्दी ठीक होओगे।

“भर” के वाक्य:

  1. रात भर जागता रहा।
  2. जीवन भर यही काम करता रहा।
  3. दिन भर मेहनत की।
  4. साल भर इंतजार किया।
  5. घंटे भर देर हो गई।

“तक” के वाक्य:

  1. शाम तक वापस आ जाना।
  2. यहाँ तक की बात सही है।
  3. कल तक काम पूरा करना है।
  4. घर तक पहुंचा दूंगा।
  5. सुबह तक इंतजार करो।

“मात्र” के वाक्य:

  1. उसे मात्र दो रुपए चाहिए।
  2. परीक्षा में मात्र पांच दिन बचे हैं।
  3. यह मात्र एक कहानी है।
  4. मात्र तुम्हारी खुशी चाहिए।
  5. मात्र थोड़ा सा समय और चाहिए।

“केवल” के वाक्य:

  1. मुझे केवल तुमसे बात करनी है।
  2. केवल मेहनत से सफलता मिलती है।
  3. वह केवल सच बोलता है।
  4. केवल एक मौका और दो।
  5. केवल पढ़ाई पर ध्यान दो।

“भी” के वाक्य:

  1. तुम भी चलो हमारे साथ।
  2. वह भी अच्छा लड़का है।
  3. मैं भी वहाँ जाऊंगा।
  4. आज भी बारिश हो रही है।
  5. यह भी एक अच्छा विकल्प है।

पद-परिचय:

प्रश्न: निम्नलिखित वाक्यों में प्रयुक्त पदों का परिचय दीजिए:

(क) मैं दसवीं कक्षा में पढ़ता हूँ।

(ख) भूषण वीर रस के कवि थे।

(ग) वह अचानक दिखाई पड़ा।

उत्तर:

(क) मैं दसवीं कक्षा में पढ़ता हूँ।

  • मैं: सर्वनाम, उत्तम पुरुष, एकवचन, पुल्लिंग, कर्ता कारक
  • दसवीं: संख्यावाचक विशेषण, स्त्रीलिंग, एकवचन
  • कक्षा: जातिवाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन, अधिकरण कारक
  • में: परसर्ग
  • पढ़ता: क्रिया, वर्तमान काल, पुल्लिंग, एकवचन, उत्तम पुरुष
  • हूँ: सहायक क्रिया, वर्तमान काल, एकवचन, उत्तम पुरुष

(ख) भूषण वीर रस के कवि थे।

  • भूषण: व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता कारक
  • वीर: गुणवाचक विशेषण, पुल्लिंग
  • रस: जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन
  • के: संबंधबोधक अव्यय
  • कवि: जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्म कारक
  • थे: क्रिया, भूतकाल, पुल्लिंग, एकवचन, अन्य पुरुष

(ग) वह अचानक दिखाई पड़ा।

  • वह: सर्वनाम, अन्य पुरुष, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता कारक
  • अचानक: रीतिवाचक क्रिया विशेषण
  • दिखाई: क्रिया, भूतकाल
  • पड़ा: मुख्य क्रिया, भूतकाल, पुल्लिंग, एकवचन, अन्य पुरुष

4. मुहावरों का प्रयोग:

प्रश्न: पाठ में अनेक स्थलों पर मुहावरों का प्रयोग हुआ है। उन मुहावरों के अर्थ लिखकर वाक्यों में प्रयोग कीजिए।

उत्तर:

  • भरे हुए स्वर में (रुंधे गले से): दुख के कारण गला भर आना
    • वाक्य: माँ ने भरे हुए स्वर में कहा कि बेटा बहुत बीमार है।

  • पैरों के नीचे से धरती खिसकना (बहुत घबरा जाना): अधिक परेशान हो जाना
    • वाक्य: बुरी खबर सुनकर उसके पैरों के नीचे से धरती खिसक गई।

  • माथा ठनकना (संदेह होना): शक होना
    • वाक्य: उसकी बात सुनकर मेरा माथा ठनक गया।

  • प्राण सूखना (अत्यंत भयभीत होना): बहुत डर जाना
    • वाक्य: साँप देखकर उसके प्राण सूख गए।

  • दिल बैठना (निराश होना): हिम्मत हार जाना
    • वाक्य: परीक्षा में असफल होकर उसका दिल बैठ गया।

  • कान खड़े होना (सचेत होना): सावधान हो जाना
    • वाक्य: अजीब आवाज़ सुनकर मेरे कान खड़े हो गए।

  • बाँध टूटना (सीमाहीन हो जाना): नियंत्रण खो देना
    • वाक्य: माँ को देखकर बच्चे के आँसुओं का बाँध टूट गया।

  • पाँव जमीन पर न पड़ना (अत्यधिक प्रसन्न होना): बहुत खुश होना
    • वाक्य: सफलता की खबर सुनकर उसके पाँव जमीन पर नहीं पड़ रहे थे।

योग्यता-विस्तार

1. प्रश्न: भारतीय समाज में विवाह जैसे आयोजन बहद खर्चीले तथा तड़क-भड़क वाले होते हैं। आपके विचार से यह उचित है अथवा अनुचित? कक्षा में इस विषय पर वाद-विवाद का आयोजन कीजिए।

उत्तर: यह एक महत्वपूर्ण सामाजिक विषय है। छात्रों को इस पर समूहिक चर्चा करनी चाहिए और अलग-अलग पक्षों को समझना चाहिए। सादगी और मितव्ययिता को प्राथमिकता देनी चाहिए।

2. प्रश्न: क्या इस कहानी को पढ़कर आपको ऐसा लगता है कि दूसरों को प्यार और खुशी देने से अपने मन का दुख कुछ कम हो जाता है?

उत्तर: हाँ, यह बात सच है। जब हम दूसरों की खुशी के लिए काम करते हैं तो हमारे मन को शांति मिलती है। परोपकार से मिलने वाला आनंद अन्य किसी भी काम से नहीं मिलता। लाजवंती का उदाहरण इसे स्पष्ट करता है।

3. प्रश्न: क्या आपको लगता है कि प्रस्तुत कहानी कुछ हद तक अंधविश्वासों पर प्रकाश डालती है?

उत्तर: हाँ, कहानी में मन्नत मानने और तीर्थ-यात्रा पर जाने जैसे अंधविश्वास दिखाए गए हैं। ये अंधविश्वास समाज के विकास में बाधक होते हैं क्योंकि लोग वास्तविक समाधान के बजाय इन पर निर्भर हो जाते हैं। इन्हें दूर करने के लिए शिक्षा और वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देना चाहिए।

परियोजना-कार्य

1. प्रश्न: परोपकार के महत्व को दर्शाती किसी कथा को चित्रों के माध्यम से प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर: छात्रों को चित्रकारी के माध्यम से परोपकार की कहानियाँ बनानी चाहिए।

2. प्रश्न: अपने अध्यापक तथा सहपाठियों के साथ किसी अनाथ आश्रम का भ्रमण कीजिए।

उत्तर: यह एक व्यावहारिक गतिविधि है जो छात्रों में संवेदना और सेवा भावना विकसित करेगी।

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