SEBA Hindi Grammar निबंध-लेखन (Nibandh Lekhan) | Assam Eduverse
Chapter Overview:
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ASSEB / SEBA Hindi Grammar अनुच्छेद-लेखन की विधि और नियम | Nibandh Lekhan Examples
1. जुबिन गर्ग : एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व
जुबिन गर्ग असम के प्रसिद्ध गायक, संगीतकार और सांस्कृतिक प्रतीक हैं। उन्होंने असमिया संगीत को न केवल अपने राज्य तक सीमित रखा, बल्कि उसे राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। बचपन से ही उन्हें संगीत में गहरी रुचि थी और उन्होंने कठिन परिश्रम, अभ्यास और आत्मविश्वास के बल पर संगीत की दुनिया में अपना नाम बनाया। उनकी आवाज़ में सादगी और भावनाओं की गहराई दिखाई देती है, जो श्रोताओं के मन को छू जाती है।
उनके गीतों में असम की संस्कृति, लोकजीवन, प्रकृति और आम लोगों की भावनाओं का सुंदर चित्रण मिलता है। उन्होंने पारंपरिक असमिया लोकगीतों को आधुनिक संगीत के साथ जोड़कर नई पीढ़ी तक पहुँचाया। यही कारण है कि उनके गीत युवाओं और बुज़ुर्गों दोनों में समान रूप से लोकप्रिय हैं। वे केवल मनोरंजन ही नहीं करते, बल्कि अपनी कला के माध्यम से संस्कृति को जीवित रखते हैं।
जुबिन गर्ग सामाजिक मुद्दों पर भी खुलकर अपनी बात रखते हैं। वे अपने राज्य और समाज के प्रति जिम्मेदार नागरिक हैं। उनका जीवन युवाओं को यह प्रेरणा देता है कि अपनी भाषा, संस्कृति और जड़ों से जुड़े रहकर भी बड़ी सफलता प्राप्त की जा सकती है।
2. शिक्षा का महत्व
शिक्षा मानव जीवन का सबसे मजबूत आधार मानी जाती है। यह व्यक्ति को केवल पढ़ना-लिखना ही नहीं सिखाती, बल्कि सोचने, समझने और सही निर्णय लेने की क्षमता भी विकसित करती है। शिक्षा के माध्यम से मनुष्य सही और गलत में अंतर करना सीखता है और अपने जीवन को सही दिशा में आगे बढ़ाता है।
शिक्षा व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाती है और उसे समाज में सम्मान दिलाती है। एक शिक्षित व्यक्ति सामाजिक कुरीतियों, अंधविश्वास और भेदभाव के विरुद्ध आवाज़ उठाता है। आज के प्रतिस्पर्धात्मक युग में शिक्षा के बिना अच्छे रोजगार और बेहतर जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। शिक्षा से व्यक्ति का व्यक्तित्व निखरता है और उसकी सोच व्यापक बनती है।
अशिक्षा अंधकार के समान है, जबकि शिक्षा ज्ञान और विकास का प्रकाश है। इसलिए हर बच्चे को शिक्षा प्राप्त करने का समान अवसर मिलना चाहिए। एक शिक्षित समाज ही देश को प्रगति, स्थिरता और समृद्धि की ओर ले जाता है।
3. समय का महत्व
समय जीवन की सबसे मूल्यवान और अमूल्य संपत्ति है। धन या संपत्ति को दोबारा कमाया जा सकता है, लेकिन बीता हुआ समय कभी वापस नहीं आता। इसलिए समय का सही उपयोग करना प्रत्येक व्यक्ति के लिए अत्यंत आवश्यक है। जो लोग समय का सम्मान करते हैं, वही जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं।
समय की पाबंदी से जीवन में अनुशासन, नियमितता और आत्मविश्वास आता है। विद्यार्थी जीवन में समय का विशेष महत्व होता है, क्योंकि इसी समय भविष्य की नींव रखी जाती है। समय पर पढ़ाई करना, कार्य पूरा करना और लक्ष्य निर्धारित करना सफलता की ओर ले जाता है।
जो लोग समय को व्यर्थ गँवाते हैं, वे अपने भविष्य को भी नुकसान पहुँचाते हैं। समय का सही उपयोग करने से जीवन व्यवस्थित और सफल बनता है। इसलिए हमें हर क्षण का सदुपयोग करना चाहिए और समय के महत्व को समझते हुए उसका सम्मान करना चाहिए।
4. मेहनत का फल
मेहनत सफलता की सच्ची कुंजी है। बिना परिश्रम के कोई भी व्यक्ति अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकता। जीवन में आगे बढ़ने के लिए निरंतर प्रयास, लगन और धैर्य आवश्यक होते हैं। जो व्यक्ति मेहनत से नहीं डरता, वही सफलता की ऊँचाइयों तक पहुँचता है।
सफलता एक दिन में नहीं मिलती, बल्कि लंबे समय तक की गई मेहनत का परिणाम होती है। असफलता से घबराने के बजाय उससे सीख लेकर आगे बढ़ना चाहिए। असफलता हमें अनुभव देती है और भविष्य में बेहतर प्रयास करने की प्रेरणा देती है।
कहा गया है कि परिश्रम का फल मीठा होता है। इतिहास गवाह है कि जिन लोगों ने ईमानदारी और कठिन परिश्रम को अपनाया, उन्होंने महान उपलब्धियाँ हासिल कीं। इसलिए हमें जीवन में मेहनत को अपना सबसे बड़ा साथी बनाना चाहिए।
5. विद्यार्थी जीवन
विद्यार्थी जीवन जीवन का सबसे महत्वपूर्ण और आधारभूत चरण होता है। इसी समय व्यक्ति का चरित्र, सोच और भविष्य का निर्माण होता है। इस अवस्था में सीखी गई बातें और बनाई गई आदतें जीवन भर साथ रहती हैं।
विद्यार्थी को मेहनती, अनुशासित और ईमानदार होना चाहिए। समय का सही उपयोग, नियमित अध्ययन, शिक्षकों का सम्मान और अच्छे संस्कार अपनाना विद्यार्थी जीवन के मुख्य गुण हैं। शिक्षा के साथ-साथ नैतिक मूल्यों का विकास भी आवश्यक है।
अनुशासित और जिम्मेदार विद्यार्थी ही आगे चलकर अच्छा नागरिक बनता है। विद्यार्थी जीवन जितना संयमित, लक्ष्यपूर्ण और सकारात्मक होगा, भविष्य उतना ही उज्ज्वल और सफल होगा। इसलिए विद्यार्थी जीवन को गंभीरता और समर्पण के साथ जीना चाहिए।
6. पर्यावरण संरक्षण
पर्यावरण हमारे जीवन का आधार है। शुद्ध वायु, स्वच्छ जल, हरियाली और प्राकृतिक संसाधनों के बिना पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं है। मानव जीवन प्रकृति पर पूर्ण रूप से निर्भर है, लेकिन आज मनुष्य अपने स्वार्थ के कारण पर्यावरण को निरंतर नुकसान पहुँचा रहा है। औद्योगीकरण, शहरीकरण और बढ़ती जनसंख्या के कारण वायु, जल और भूमि प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है।
पर्यावरण प्रदूषण के कारण अनेक गंभीर बीमारियाँ फैल रही हैं और जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक समस्या उत्पन्न हो गई है। वनों की कटाई, प्लास्टिक का अत्यधिक उपयोग और प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन पर्यावरण को नष्ट कर रहा है। यदि समय रहते इस ओर ध्यान नहीं दिया गया, तो भविष्य की पीढ़ियों को इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे।
पर्यावरण संरक्षण के लिए हमें अधिक से अधिक वृक्ष लगाने चाहिए, जल और बिजली की बचत करनी चाहिए तथा प्लास्टिक का कम उपयोग करना चाहिए। स्वच्छता अपनाना और प्रकृति के प्रति जिम्मेदार व्यवहार करना हम सभी का कर्तव्य है। पर्यावरण की रक्षा करके ही हम एक सुरक्षित और स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित कर सकते हैं।
7. राष्ट्रीय एकता
राष्ट्रीय एकता किसी भी देश की सबसे बड़ी शक्ति होती है। जब देश के नागरिक आपस में प्रेम, सहयोग और भाईचारे के साथ रहते हैं, तब देश मजबूत और सुरक्षित बनता है। भारत विविधताओं का देश है, जहाँ अनेक धर्म, जातियाँ, भाषाएँ और संस्कृतियाँ पाई जाती हैं, फिर भी हम सब एक राष्ट्र हैं।
स्वतंत्रता संग्राम के समय राष्ट्रीय एकता ने ही भारत को विदेशी शासन से मुक्ति दिलाई। आज भी देश की प्रगति और विकास के लिए एकता अत्यंत आवश्यक है। आपसी मतभेद, भेदभाव और हिंसा देश को कमजोर करते हैं। यदि नागरिक एक-दूसरे का सम्मान करें और मिल-जुलकर रहें, तो कोई भी शक्ति देश को नुकसान नहीं पहुँचा सकती।
राष्ट्रीय एकता बनाए रखना केवल सरकार की नहीं, बल्कि हर नागरिक की जिम्मेदारी है। हमें अपने व्यक्तिगत स्वार्थ से ऊपर उठकर देशहित के बारे में सोचना चाहिए। एकता, सहिष्णुता और भाईचारे की भावना से ही राष्ट्र उन्नति के पथ पर आगे बढ़ सकता है।
8. स्वच्छता का महत्व
स्वच्छता मानव जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है। स्वच्छ वातावरण न केवल हमें स्वस्थ रखता है, बल्कि हमारे व्यक्तित्व को भी निखारता है। जहाँ स्वच्छता होती है, वहाँ रोग कम फैलते हैं और लोग सुखी जीवन जीते हैं। गंदगी से अनेक संक्रामक बीमारियाँ उत्पन्न होती हैं, जो मानव जीवन के लिए घातक हो सकती हैं।
स्वच्छता केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी भी है। हमें अपने घर, विद्यालय, सड़क और सार्वजनिक स्थानों को साफ रखना चाहिए। कचरे को इधर-उधर फेंकने के बजाय डस्टबिन में डालना चाहिए और प्लास्टिक का उपयोग कम करना चाहिए। स्वच्छता से पर्यावरण भी सुरक्षित रहता है।
स्वच्छता से स्वास्थ्य, सुंदरता और अनुशासन तीनों जुड़े होते हैं। यदि प्रत्येक नागरिक स्वच्छता को अपनी आदत बना ले, तो समाज और देश दोनों स्वच्छ बन सकते हैं। इसलिए हमें स्वच्छता को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करना चाहिए।
9. अनुशासन का महत्व
अनुशासन जीवन को सही दिशा देने वाला सबसे महत्वपूर्ण गुण है। यह व्यक्ति को समय पर कार्य करना, नियमों का पालन करना और अपने कर्तव्यों के प्रति सजग रहना सिखाता है। अनुशासन के बिना जीवन अव्यवस्थित और लक्ष्यहीन हो जाता है। एक अनुशासित व्यक्ति अपने कार्यों को योजना के अनुसार करता है और जीवन में संतुलन बनाए रखता है।
विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का विशेष महत्व होता है, क्योंकि इसी समय व्यक्ति का भविष्य आकार लेता है। समय पर पढ़ाई करना, विद्यालय के नियमों का पालन करना, शिक्षकों का सम्मान करना और नियमित दिनचर्या अपनाना अनुशासन के उदाहरण हैं। अनुशासन से आत्मसंयम, एकाग्रता और आत्मविश्वास बढ़ता है, जो सफलता के लिए आवश्यक हैं।
जो व्यक्ति अनुशासनहीन होता है, वह अपने लक्ष्य से भटक जाता है और जीवन में पिछड़ जाता है। अनुशासन व्यक्ति को जिम्मेदार नागरिक बनाता है और समाज में सम्मान दिलाता है। इसलिए हमें अपने जीवन में अनुशासन को अपनाना चाहिए, क्योंकि अनुशासन से ही सफलता, शांति और प्रगति संभव है।
10. देशभक्ति
देशभक्ति देश के प्रति प्रेम, निष्ठा और समर्पण की भावना है। यह भावना व्यक्ति को अपने देश के लिए कुछ करने की प्रेरणा देती है। हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने देश की आज़ादी के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया, जिससे हम आज स्वतंत्र वातावरण में साँस ले पा रहे हैं।
देशभक्ति केवल युद्ध के समय ही नहीं, बल्कि शांति के समय भी आवश्यक होती है। ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का पालन करना, कानून का सम्मान करना, सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा करना और समाज में सद्भाव बनाए रखना भी देशभक्ति के रूप हैं। सच्चा देशभक्त वही होता है जो देशहित को अपने स्वार्थ से ऊपर रखता है।
हमें अपने देश की संस्कृति, परंपराओं और मूल्यों पर गर्व करना चाहिए। देश की एकता और अखंडता बनाए रखना प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है। जब नागरिक अपने कर्तव्यों को समझकर निभाते हैं, तभी देश प्रगति और समृद्धि के पथ पर आगे बढ़ता है। यही सच्ची देशभक्ति है।
11. नारी सशक्तिकरण
नारी समाज की आधारशिला है और उसके बिना समाज की कल्पना अधूरी है। प्राचीन काल से ही नारी ने परिवार और समाज को सँभालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज के आधुनिक युग में नारी शिक्षा, विज्ञान, चिकित्सा, खेल, राजनीति और रक्षा जैसे हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा सिद्ध कर रही है।
नारी सशक्तिकरण का अर्थ है महिलाओं को समान अधिकार, सम्मान और अवसर प्रदान करना। शिक्षा और आत्मनिर्भरता नारी सशक्तिकरण के सबसे मजबूत साधन हैं। जब नारी शिक्षित होती है, तो वह न केवल अपने जीवन को बेहतर बनाती है, बल्कि पूरे परिवार और समाज को आगे बढ़ाती है।
नारी सशक्तिकरण से सामाजिक कुरीतियाँ, भेदभाव और असमानता दूर होती हैं। एक सशक्त नारी ही सशक्त समाज और सशक्त राष्ट्र का निर्माण कर सकती है। इसलिए हमें नारी सम्मान, सुरक्षा और समानता को बढ़ावा देना चाहिए, ताकि समाज में संतुलन और प्रगति बनी रहे।
12. पुस्तकों का महत्व
पुस्तकें ज्ञान का अमूल्य भंडार होती हैं और मानव की सच्ची मित्र मानी जाती हैं। वे हमें न केवल जानकारी देती हैं, बल्कि सही मार्ग भी दिखाती हैं। पुस्तकें हमें अज्ञानता के अंधकार से निकालकर ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाती हैं। बचपन से ही यदि पढ़ने की आदत डाल ली जाए, तो व्यक्ति का मानसिक और बौद्धिक विकास तेजी से होता है।
पुस्तकों के माध्यम से हम महान व्यक्तियों के जीवन, उनके संघर्ष और उनके विचारों से सीख प्राप्त करते हैं। अच्छी पुस्तकें हमारे चरित्र का निर्माण करती हैं और हमें नैतिक मूल्यों की शिक्षा देती हैं। पढ़ने की आदत से सोचने, समझने और निर्णय लेने की क्षमता विकसित होती है। यही कारण है कि पुस्तकें व्यक्तित्व निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
आज के डिजिटल युग में भी पुस्तकों का महत्व कम नहीं हुआ है। मोबाइल और इंटरनेट के बावजूद पुस्तकें आज भी ज्ञान का विश्वसनीय स्रोत हैं। यदि समाज को शिक्षित और जागरूक बनाना है, तो पुस्तकों के प्रति प्रेम बढ़ाना आवश्यक है। इसलिए हमें नियमित रूप से अच्छी पुस्तकों का अध्ययन करना चाहिए।
13. परिश्रम का महत्व
परिश्रम जीवन में सफलता प्राप्त करने का सबसे महत्वपूर्ण साधन है। बिना मेहनत के कोई भी व्यक्ति अपने लक्ष्य तक नहीं पहुँच सकता। जीवन में आगे बढ़ने के लिए निरंतर प्रयास, धैर्य और लगन की आवश्यकता होती है। परिश्रम ही वह शक्ति है जो असंभव को भी संभव बना देती है।
सफलता एक दिन में नहीं मिलती, बल्कि लंबे समय तक किए गए कठिन परिश्रम का परिणाम होती है। असफलता से घबराना नहीं चाहिए, बल्कि उससे सीख लेकर दोबारा प्रयास करना चाहिए। परिश्रमी व्यक्ति कठिन परिस्थितियों में भी हार नहीं मानता और निरंतर आगे बढ़ता रहता है।
इतिहास गवाह है कि जिन लोगों ने परिश्रम को अपनाया, उन्होंने महान उपलब्धियाँ हासिल कीं। कहा भी गया है कि मेहनत का फल मीठा होता है। इसलिए हमें जीवन में आलस्य छोड़कर परिश्रम को अपनाना चाहिए, क्योंकि वही हमें सफलता और सम्मान दिलाता है।
14. मित्रता का महत्व
मित्रता जीवन का एक अनमोल और पवित्र संबंध है। सच्चा मित्र वही होता है जो सुख और दुख दोनों समय हमारे साथ खड़ा रहता है। मित्र हमारे जीवन को आनंदमय बनाते हैं और कठिन परिस्थितियों में हमें साहस प्रदान करते हैं। अच्छी मित्रता जीवन को सरल और सुंदर बना देती है।
सच्ची मित्रता विश्वास, ईमानदारी और आपसी समझ पर आधारित होती है। अच्छे मित्र हमें गलत रास्ते पर जाने से रोकते हैं और सही मार्ग दिखाते हैं। वे हमारी कमियों को सुधारने में मदद करते हैं और हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं। इसलिए मित्र चुनते समय सावधानी बरतनी चाहिए।
आज के समय में कई मित्रताएँ स्वार्थ पर आधारित होती हैं, जो समय के साथ टूट जाती हैं। लेकिन सच्ची मित्रता जीवन भर साथ निभाती है। अच्छे मित्र जीवन की सबसे बड़ी संपत्ति होते हैं। इसलिए हमें मित्रता के इस पवित्र रिश्ते को सच्चाई और निष्ठा के साथ निभाना चाहिए।
15. स्वास्थ्य का महत्व
स्वास्थ्य मनुष्य के जीवन का सबसे बड़ा धन है। यदि व्यक्ति स्वस्थ है तो वह जीवन की हर चुनौती का सामना आत्मविश्वास के साथ कर सकता है। अच्छे स्वास्थ्य के बिना धन, संपत्ति और सुख-सुविधाओं का कोई विशेष महत्व नहीं रह जाता। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का वास होता है, जिससे व्यक्ति सही निर्णय ले पाता है और जीवन में आगे बढ़ता है।
अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए संतुलित आहार, स्वच्छता, नियमित व्यायाम और पर्याप्त नींद अत्यंत आवश्यक है। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग अपने स्वास्थ्य की उपेक्षा कर रहे हैं, जिसके कारण अनेक शारीरिक और मानसिक रोग बढ़ते जा रहे हैं। योग, प्राणायाम और ध्यान से शरीर और मन दोनों स्वस्थ रहते हैं।
स्वस्थ व्यक्ति ही परिवार, समाज और देश के विकास में सकारात्मक योगदान दे सकता है। यदि नागरिक स्वस्थ होंगे, तो देश भी मजबूत बनेगा। इसलिए हमें अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता देनी चाहिए और एक स्वस्थ जीवनशैली अपनानी चाहिए, क्योंकि स्वास्थ्य ही सच्चा धन है।
16. पर्यावरण प्रदूषण
पर्यावरण प्रदूषण आज विश्व की सबसे गंभीर समस्याओं में से एक है। वायु, जल और भूमि प्रदूषण के कारण मानव जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। औद्योगीकरण, शहरीकरण और बढ़ती जनसंख्या के कारण पर्यावरण का संतुलन बिगड़ता जा रहा है। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई और प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन पर्यावरण को नुकसान पहुँचा रहा है।
प्रदूषण के कारण अनेक बीमारियाँ फैल रही हैं और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्या उत्पन्न हो रही है। स्वच्छ जल और शुद्ध वायु की कमी भविष्य के लिए खतरा बनती जा रही है। यदि समय रहते पर्यावरण की रक्षा नहीं की गई, तो आने वाली पीढ़ियों को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे।
पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए हमें अधिक से अधिक वृक्ष लगाने चाहिए, प्लास्टिक का कम उपयोग करना चाहिए और स्वच्छता अपनानी चाहिए। जल और बिजली की बचत करना भी आवश्यक है। पर्यावरण संरक्षण हम सभी की जिम्मेदारी है और इसके बिना सुरक्षित भविष्य की कल्पना नहीं की जा सकती।
17. राष्ट्रीय एकता में विविधता का महत्व
भारत विविधताओं का देश है, जहाँ अनेक धर्म, भाषाएँ, जातियाँ और संस्कृतियाँ पाई जाती हैं। इन विविधताओं के बावजूद भारत एक मजबूत और एकजुट राष्ट्र है। यही विविधता भारत की सबसे बड़ी विशेषता और शक्ति है। विभिन्न संस्कृतियों का मेल भारत को अनोखा बनाता है।
राष्ट्रीय एकता का अर्थ है सभी नागरिकों का आपसी प्रेम, सम्मान और सहयोग के साथ रहना। स्वतंत्रता संग्राम के समय विभिन्न वर्गों के लोगों ने मिलकर देश को आज़ादी दिलाई। आज भी देश की प्रगति और विकास के लिए आपसी एकता अत्यंत आवश्यक है। भेदभाव और आपसी मतभेद देश को कमजोर करते हैं।
हमें एक-दूसरे की भाषा, धर्म और संस्कृति का सम्मान करना चाहिए। जब हम विविधता में एकता को अपनाते हैं, तभी राष्ट्र मजबूत बनता है। राष्ट्रीय एकता बनाए रखना हर नागरिक का कर्तव्य है, क्योंकि एकजुट राष्ट्र ही विकास और शांति के मार्ग पर आगे बढ़ सकता है।
18. विज्ञान वरदान या अभिशाप
विज्ञान आधुनिक युग की सबसे बड़ी उपलब्धि है। विज्ञान ने मानव जीवन को सरल, सुविधाजनक और आरामदायक बना दिया है। बिजली, रेल, मोबाइल, कंप्यूटर, इंटरनेट और चिकित्सा के क्षेत्र में हुई प्रगति विज्ञान की ही देन है। आज विज्ञान के कारण मनुष्य ने समय और दूरी को बहुत कम कर दिया है और जीवन की अनेक कठिनाइयों पर विजय पाई है।
जहाँ विज्ञान ने जीवन को आसान बनाया है, वहीं इसके दुरुपयोग ने कई समस्याएँ भी उत्पन्न की हैं। परमाणु हथियार, प्रदूषण, मशीनों पर अत्यधिक निर्भरता और प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध उपयोग विज्ञान के नकारात्मक पक्ष हैं। इससे पर्यावरण को नुकसान पहुँचा है और मानव स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ा है।
वास्तव में विज्ञान स्वयं न तो वरदान है और न ही अभिशाप, बल्कि उसका उपयोग ही उसे अच्छा या बुरा बनाता है। यदि विज्ञान का प्रयोग मानव कल्याण, शांति और विकास के लिए किया जाए तो यह वरदान है। लेकिन यदि इसका उपयोग विनाश के लिए किया जाए, तो यह अभिशाप बन जाता है। इसलिए विज्ञान का सही और संतुलित उपयोग अत्यंत आवश्यक है।
19. स्वावलंबन का महत्व
स्वावलंबन का अर्थ है अपने कार्य स्वयं करना और दूसरों पर निर्भर न रहना। स्वावलंबी व्यक्ति आत्मविश्वासी होता है और जीवन की कठिन परिस्थितियों का सामना साहस के साथ करता है। स्वावलंबन मनुष्य को आत्मसम्मान और आत्मबल प्रदान करता है।
स्वावलंबन से व्यक्ति में परिश्रम करने की आदत विकसित होती है। जो व्यक्ति अपने काम स्वयं करता है, वह अपने निर्णयों की जिम्मेदारी भी उठाता है। इससे व्यक्ति में नेतृत्व क्षमता और समस्या-समाधान की योग्यता बढ़ती है। विद्यार्थी जीवन में स्वावलंबन का विशेष महत्व है, क्योंकि यही गुण आगे चलकर जीवन को सफल बनाता है।
जो समाज स्वावलंबी होता है, वह तेजी से प्रगति करता है। आत्मनिर्भर नागरिक ही आत्मनिर्भर राष्ट्र का निर्माण करते हैं। इसलिए हमें बचपन से ही स्वावलंबन की भावना को अपनाना चाहिए और अपने कार्य स्वयं करने की आदत डालनी चाहिए, ताकि हम आत्मविश्वासी और सफल बन सकें।
20. सत्संग का महत्व
सत्संग का अर्थ है अच्छे और सदाचारी लोगों की संगति। मनुष्य पर संगति का गहरा प्रभाव पड़ता है। जैसी संगति होती है, वैसा ही व्यक्ति का विचार और व्यवहार बन जाता है। अच्छी संगति से अच्छे संस्कार और सकारात्मक सोच विकसित होती है।
सत्संग से व्यक्ति को अच्छे विचार, नैतिक मूल्य और सही दिशा मिलती है। यह मन को शांति प्रदान करता है और जीवन में सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। इसके विपरीत बुरी संगति व्यक्ति को गलत आदतों की ओर ले जाती है और उसका जीवन बिगाड़ देती है। इसलिए संगति चुनते समय सावधानी रखना आवश्यक है।
सत्संग व्यक्ति के चरित्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह आत्मिक बल, धैर्य और संयम प्रदान करता है। यदि मनुष्य जीवन में उन्नति करना चाहता है, तो उसे सदैव अच्छे और आदर्श लोगों की संगति करनी चाहिए, क्योंकि सत्संग से ही जीवन सार्थक और सफल बनता है।
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