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SEBA Hindi Grammar समास (Samas) | Assam Eduverse

Chapter Overview:

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SEBA / ASSEB Hindi Grammar – समास की परिभाषा और प्रकार

समास (COMPOUNDS)

‘समास’ शब्द का तात्पर्य है ‘संक्षेपिकरण’ अर्थात् संक्षेप करना। जैसे—

  • ‘पेट भर’ = भर पेट,
  • ‘रसोई के लिए घर’ = रसोईघर,
  • ‘चन्द्रमा के समान मुख’ = चन्द्रमुख।

इन उदाहरणों में शब्द संक्षिप्त हो गए हैं परन्तु उनके अर्थ में किसी प्रकार का कोई परिवर्तन नहीं आया। संक्षिप्त करने की यह विधि ही ‘समास’ कहलाती है।

परिभाषा— परस्पर सम्बन्ध रखने वाले दो या दो से अधिक पदों (शब्दों) के मेल को ‘समास’ कहते हैं।
सामासिक शब्द— समास के नियमों से निर्मित शब्द सामासिक शब्द कहलाते हैं। इन्हें समस्त पद भी कहते हैं। जैसे—चन्द्रमुख, रसोईघर, पुस्तकालय आदि। पहले शब्द को पूर्वपद तथा दूसरे पद को उत्तरपद कहा जाता है।

समास के भेद

समास के निम्नलिखित चार भेद हैं—

  1. तत्पुरुष समास
  2. बहुव्रीहि समास
  3. द्वन्द्व समास
  4. अव्ययीभाव समास

1. तत्पुरुष समास (Determinative Compound)

जिस समास का उत्तरपद (दूसरा शब्द) प्रधान हो तथा पूर्वपद (पहला पद) गौण हो, उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। इस समास में दोनों शब्दों (पदों) के मध्य आने वाले परसर्गों (को, से, के, का, की, में, पर) का लोप हो जाता है।
जैसे—

  • देश के लिए भक्ति → देशभक्ति
  • तुलसी द्वारा कृत → तुलसीकृत

तत्पुरुष-विग्रह में जो कारक प्रकट हो उसी कारक वाला वह समास होता है।

(क) कर्म तत्पुरुष

गिरह को काटने वाला — गिरहकट
चिड़ियों को मारने वाला — चिड़ीमार
स्वर्ग को प्राप्त — स्वर्गप्राप्त
गगन को चूमने वाला — गगनचुम्बी

(ख) करण तत्पुरुष

तुलसी द्वारा कृत — तुलसीकृत
मन से चाहा — मनचाहा
शक्ति से सम्पन्न — शक्तिसम्पन्न
अकाल से पीड़ित — अकालपीड़ित

(ग) सम्प्रदान तत्पुरुष

राह के लिए खर्च — राहखर्च
जेब के लिए घड़ी — जेबघड़ी
सभा के लिए भवन — सभाभवन
सत्य के लिए आग्रह — सत्याग्रह

(घ) अपादान तत्पुरुष

देश से निकाला — देशनिकाला
ऋण से मुक्त — ऋणमुक्त
जन्म से अन्धा — जन्मान्ध
पथ से भ्रष्ट — पथभ्रष्ट

(ङ) सम्बन्ध तत्पुरुष

गंगा का जल — गंगाजल
दीनों के नाथ — दीननाथ
राजा की कन्या — राजकन्या
भू का दान — भूदान

(च) अधिकरण तत्पुरुष

नगर में वास — नगरवास
आप पर बीती — आपबीती
कार्य में कुशल — कार्यकुशल
शरण में आगत — शरणागत


तत्पुरुष समास के उपभेद

तत्पुरुष समास के तीन प्रमुख उपभेद हैं—
(क) कर्मधारय समास
(ख) द्विगु समास
(ग) नञ् तत्पुरुष समास


(क) कर्मधारय समास (Appositional Compound)

जिस समास का उत्तरपद प्रधान हो और पूर्वपद व उत्तरपद में विशेषण-विशेष्य अथवा उपमान-उपमेय का सम्बन्ध हो, वह कर्मधारय समास कहलाता है।

(i) जब पहला पद विशेषण तथा दूसरा पद विशेष्य हो—
नीलकण्ठ — नीला कण्ठ
पीताम्बर — पीत अम्बर
सज्जन — सत् जन

(ii) जब पहला पद विशेष्य तथा दूसरा पद विशेषण हो—
नरसिंह — नर में सिंह है जो
पुरुषोत्तम — पुरुषों में उत्तम है जो
मुनिश्रेष्ठ — मुनियों में श्रेष्ठ है जो

(iii) जब दोनों पद विशेषण हों—
शीतोष्ण — शीत और उष्ण
खट्टामिठा — खट्टा और मीठा

(iv) जहाँ पहला पद उपमान तथा दूसरा पद उपमेय हो—
कमलनयन — कमल के समान नयन
चन्द्रमुख — चन्द्रमा के समान मुख

(v) जहाँ पहला पद उपमेय तथा दूसरा पद उपमान हो—
विद्याधन — विद्या रूपी धन
करकमल — कर रूपी कमल


(ख) द्विगु समास (Numeral Compound)

जिस सामासिक पद का पूर्वपद संख्यावाचक विशेषण हो, वह द्विगु समास कहलाता है।

तीन फलों का समूह — त्रिफला
चार मासों का समूह — चौमासा
दो पहरों का समाहार — दोपहर
चार राहों का समूह — चौराहा
नौ रत्नों का समूह — नवरत्न
सौ वर्षों का समूह — शताब्दी
तीन लोकों का समूह — त्रिलोकी
सात सौ (दोहे) का समूह — सतसई


(ग) नञ् तत्पुरुष समास

जिस समास में पहला पद निषेधात्मक हो उसे नञ् तत्पुरुष समास कहते हैं।

अदृश्य — न दिखने वाला
अस्थिर — न स्थिर
अनश्वर — न नश्वर
असत्य — न सत्य
असम्भव — न सम्भव
अनन्त — न अन्त


2. बहुव्रीहि समास (Attributive Compound)

जिस समास में कोई भी पद प्रधान न होकर कोई अन्य पद प्रधान हो, वह बहुव्रीहि समास कहलाता है।

बारहसिंगा — बारह हैं सींग जिसके
चक्रपाणि — चक्र है पाणि (हाथ) में जिसके
पीताम्बर — पीला है अम्बर (वस्त्र) जिसका
महात्मा — महान है आत्मा जिसकी
सुलोचना — सुन्दर हैं लोचन जिसके
नीलकण्ठ — नीला है कण्ठ जिसका (शिव)
दशानन — दस हैं आनन (मुख) जिसके (रावण)
लम्बोदर — लम्बा है उदर जिसका (गणेश)
पंकज — पंक (कीचड़) में जन्मा अर्थात् कमल
विषधर — विष को धारण करने वाला अर्थात् सर्प
चतुरानन — चार आनन (मुख) हैं जिसके अर्थात् ब्रह्मा


3. द्वन्द्व समास (Copulative Compound)

जिस समास में दोनों पद समान (प्रधान) हों और उनमें से कोई भी गौण नहीं हो, वह द्वन्द्व समास कहलाता है।

नर-नारी — नर और नारी
जीवन-मरण — जीवन या मरण
पाप-पुण्य — पाप या पुण्य
राधा-कृष्ण — राधा और कृष्ण
चाचा-भतीजा — चाचा और भतीजा
राजा-रंक — राजा और रंक
माँ-बाप — माँ और बाप
अन्न-जल — अन्न और जल
दिन-रात — दिन और रात
ऊँच-नीच — ऊँच या नीच
पति-पत्नी — पति और पत्नी
गंगा-यमुना — गंगा और यमुना


4. अव्ययीभाव समास (Adverbial Compound)

जिस समस्त पद का पहला पद प्रधान और अव्यय होता है तथा समस्त पद वाक्य में क्रिया-विशेषण का काम करता है, उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं।

भरपेट — पेट भर
यथाविधि — विधि के अनुसार
प्रत्येक — एक-एक
यथाक्रम — क्रम के अनुसार
कानोकान — एक कान से दूसरे कान में
प्रतिक्षण — क्षण-क्षण
आजन्म — जन्म से लेकर
आमरण — मरण तक
बहुधा — बहुधा के साथ
यथाशक्ति — शक्ति के अनुसार
आजीवन — जीवनभर
रातों-रात — रात ही रात में

समास : उदाहरण 

क्रमसमस्त पद = विग्रह
1नीलकंठ = जिसका कंठ नीला हो (शिव)
2दशानन = जिसके दस मुख हों (रावण)
3चतुरानन = जिसके चार मुख हों (ब्रह्मा)
4त्रिनेत्र = जिसके तीन नेत्र हों (शिव)
5पीतांबर = जो पीत वस्त्र धारण करता हो (कृष्ण)
6गजानन = जिसका मुख हाथी का हो (गणेश)
7कमलनयन = जिनके नेत्र कमल जैसे हों
8लंबोदर = जिसका पेट बड़ा हो (गणेश)
9चंद्रमुख = जिसका मुख चंद्रमा जैसा हो
10सहस्रबाहु = जिसके हजार भुजाएँ हों
11त्रिलोकीनाथ = जो तीन लोकों का स्वामी हो
12त्रिभुवन = तीनों लोक
13द्विपद = जिसके दो पैर हों
14चतुष्पद = जिसके चार पैर हों
15सप्तऋषि = सात ऋषि
16पंचवटी = पाँच वट वृक्षों का समूह
17अष्टाध्यायी = आठ अध्यायों वाली
18द्विरद = जिसके दो दाँत हों (हाथी)
19त्रिकाल = तीनों काल
20चतुर्दिश = चारों दिशाएँ
21राजपुत्र = राजा का पुत्र
22गृहप्रवेश = घर में प्रवेश
23जलपान = जल का पान
24देवालय = देवों का आलय
25विद्यालय = विद्या का आलय
26राजमहल = राजा का महल
27धर्मग्रंथ = धर्म का ग्रंथ
28नीलकमल = नीला है जो कमल
29महापुरुष = महान है जो पुरुष
30श्वेतवस्त्र = श्वेत है जो वस्त्र
31मधुरवाणी = मधुर है जो वाणी
32कृष्णवर्ण = कृष्ण है जो वर्ण
33राम-श्याम = राम और श्याम
34दिन-रात = दिन और रात
35सुख-दुःख = सुख और दुःख
36माता-पिता = माता और पिता
37भाई-बहन = भाई और बहन
38स्त्री-पुरुष = स्त्री और पुरुष
39यथाशक्ति = शक्ति के अनुसार
40प्रतिदिन = हर दिन
41यथासंभव = संभव के अनुसार
42उपर्युक्त = ऊपर कहा हुआ
43नीलकुंभ = जिसका कुंभ नीला हो
44शताब्दी = सौ वर्षों का समूह
45सहस्राब्दी = हजार वर्षों का समूह
46त्रिपथगा = तीन मार्गों से बहने वाली (गंगा)
47पंकज = कीचड़ में उत्पन्न होने वाला (कमल)
48वनवासी = वन में रहने वाला
49गृहस्थ = घर में रहने वाला
50राजयोग = राजा का योग
51लोकनायक = लोकों का नायक
52जनसेवक = जनता का सेवक
53धर्मात्मा = जिसकी आत्मा धर्ममय हो
54पुण्यात्मा = जिसकी आत्मा पुण्य से युक्त हो
55महाबली = महान बल वाला
56महाविद्यालय = महान विद्यालय
57लोकहित = लोकों का हित
58लोककल्याण = लोकों का कल्याण
59ग्रामवासी = गाँव में रहने वाला
60नगरनिगम = नगर का निगम
61राजर्षि = राजा और ऋषि
62देवर्षि = देव और ऋषि
63नरनारी = नर और नारी
64अन्नदाता = अन्न देने वाला
65जलद = जल देने वाला (मेघ)
66धनवान = धन वाला
67विद्यावान = विद्या वाला
68शस्त्रधारी = शस्त्र धारण करने वाला
69शांतचित्त = शांत है जिसका चित्त
70स्वर्णमुखी = जिसका मुख स्वर्ण जैसा हो
71अष्टभुजा = जिसकी आठ भुजाएँ हों
72चतुर्भुज = जिसकी चार भुजाएँ हों
73त्रिवेणी = तीन नदियों का संगम
74पंचतत्व = पाँच तत्व
75षड्ऋतु = छह ऋतुएँ
76द्वादशमास = बारह महीने
77त्रिमूर्ति = तीन मूर्तियाँ
78चतुर्वर्ण = चार वर्ण
79सप्तसागर = सात सागर
80अष्टदिक्पाल = आठ दिशाओं के पालक
81लोकपाल = लोकों की रक्षा करने वाला
82जननायक = जनता का नेता
83राजकुमार = राजा का पुत्र
84धर्मवीर = धर्म का वीर
85कर्मयोगी = कर्म में योग रखने वाला
86ज्ञानयोगी = ज्ञान में योग रखने वाला
87भक्तवत्सल = भक्तों से प्रेम करने वाला
88करुणामय = करुणा से भरा हुआ
89तेजस्वी = तेज से युक्त
90बलवान = बल से युक्त
91गुणवान = गुणों से युक्त
92दानवीर = दान करने वाला वीर
93युद्धवीर = युद्ध में वीर
94सत्यवादी = सत्य बोलने वाला
95कर्तव्यनिष्ठ = कर्तव्य में निष्ठा रखने वाला
96लोकसेवक = लोकों की सेवा करने वाला
97राष्ट्रप्रेमी = राष्ट्र से प्रेम करने वाला
98देशभक्त = देश से भक्ति करने वाला
99शिक्षाप्रेमी = शिक्षा से प्रेम करने वाला
100शांतिदूत = शांति का संदेश देने वाला
 

समास : अभ्यास प्रश्नोत्तर( Practice Questions with Solutions)

प्रश्न 1. समास किसे कहते हैं? सोदाहरण समझाइए।
उत्तर: परस्पर सम्बन्ध रखने वाले दो या दो से अधिक पदों (शब्दों) के मेल को समास कहते हैं। समास में शब्दों को जोड़कर उनका संक्षिप्त और अर्थपूर्ण रूप बनाया जाता है।
उदाहरण: राजा का पुत्र → राजपुत्र, रसोई के लिए घर → रसोईघर।


प्रश्न 2. समस्त पद (सामासिक पद) से क्या अभिप्राय है? उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर: समास के नियमों से बने हुए शब्द को समस्त पद या सामासिक पद कहते हैं।
उदाहरण: चन्द्रमा के समान मुख → चन्द्रमुख, पुस्तकों का आलय → पुस्तकालय।


प्रश्न 3. सन्धि और समास में क्या अन्तर है? उचित उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: सन्धि में वर्णों का मेल होता है और वर्णों में परिवर्तन होता है, जबकि समास में शब्दों का मेल होता है और वर्णों में कोई परिवर्तन नहीं होता।
उदाहरण: सुर + इन्द्र = सुरेन्द्र (सन्धि), रसोई के लिए घर = रसोईघर (समास)।


प्रश्न 4. पूर्वपद, उत्तरपद तथा समास-विग्रह से आप क्या समझते हैं? उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर: समास में पहले शब्द को पूर्वपद तथा दूसरे शब्द को उत्तरपद कहते हैं। समस्त पद के शब्दों के बीच के सम्बन्ध को स्पष्ट करना समास-विग्रह कहलाता है।
उदाहरण: राजपुत्र → राजा का पुत्र।


प्रश्न 5. समास के कितने भेद होते हैं? प्रत्येक के तीन-तीन उदाहरण दीजिए।
उत्तर: समास के चार भेद होते हैं—
तत्पुरुष समास: देशभक्ति, राजपुत्र, गृहप्रवेश।
बहुव्रीहि समास: दशानन, नीलकण्ठ, चक्रपाणि।
द्वन्द्व समास: दिन-रात, माता-पिता, सुख-दुःख।
अव्ययीभाव समास: यथाशक्ति, आजीवन, प्रतिदिन।


प्रश्न 6. कर्मधारय समास और बहुव्रीहि समास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: कर्मधारय समास में समस्त पद का एक पद प्रधान होता है और विशेषण–विशेष्य का सम्बन्ध होता है, जबकि बहुव्रीहि समास में कोई भी पद प्रधान नहीं होता और अर्थ किसी तीसरे व्यक्ति या वस्तु की ओर संकेत करता है।
उदाहरण: नीलकमल (कर्मधारय), दशानन (बहुव्रीहि)।


प्रश्न 7. द्विगु समास और बहुव्रीहि समास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: द्विगु समास में पहला पद संख्यावाचक होता है, जबकि बहुव्रीहि समास में कोई भी पद प्रधान नहीं होता।
उदाहरण: त्रिलोकी (द्विगु), चतुर्भुज (बहुव्रीहि)।


प्रश्न 8. तत्पुरुष समास किसे कहते हैं? इसके कितने उपभेद हैं? प्रत्येक के तीन-तीन उदाहरण दीजिए।
उत्तर: जिस समास में उत्तरपद प्रधान होता है और पूर्वपद गौण होता है, उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। इसके छह उपभेद होते हैं—कर्म, करण, सम्प्रदान, अपादान, सम्बन्ध और अधिकरण।
उदाहरण:
कर्म—गिरहकट, स्वर्गप्राप्त, चिड़ीमार।
करण—तुलसीकृत, मनचाहा, शक्तिसम्पन्न।
सम्प्रदान—राहखर्च, जेबघड़ी, सभाभवन।


प्रश्न 9. अव्ययीभाव समास किसे कहते हैं? इसके पाँच उदाहरण दीजिए।
उत्तर: जिस समास में पहला पद अव्यय होता है और समस्त पद क्रिया-विशेषण का काम करता है, उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं।
उदाहरण: यथाशक्ति, यथाविधि, प्रतिदिन, आजीवन, आमरण।


प्रश्न 10. निम्नलिखित विग्रहों के समस्त पद बनाकर समास का नाम बताइए।
उत्तर:
घोड़े पर सवार → अश्वारोही — तत्पुरुष समास।
सत्य है जो धर्म → सत्यधर्म — कर्मधारय समास।
नौ रत्नों का समूह → नवरत्न — द्विगु समास।
दिन-दिन → दिनदिन — द्वन्द्व समास।
विष को धारण करने वाला → विषधर — बहुव्रीहि समास।

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